Sanskrit Pustakalaya


1.2 द्वारा Srujan Jha
Mar 14, 2020 पुराने संस्करणों

Sanskrit Pustakalaya के बारे में

किताबकी ओमति पंडितः

कोई पुस्तक के कारण ही पंडित हो पाता है। पुस्तकेंकी भवति पंडितः। तकनीक के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति के हाथ तक संस्कृत की पुस्तक पहुंचाने के लक्ष्य को पाने की अभिलाषा से मैं "ई-पुस्तक संग्रह" के बारे में आपके समक्ष प्रस्तुत हूं।

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ज्ञान को संक्रांत करने के लिए समय-समय पर कई आधारों का प्रयोग किया गया। आज डिजिटल दौर में ज्ञान के आधार में परिवर्तन समय की मांग है। तेल यंत्र भी उनमें से एक है, जिसके माध्यम से अब ईप्सित पुस्तक को पढ़ना संभव हो पा रहा है। हम इस ऐप में हजारों वर्षों तक विकसित व प्रसृत होने वाली अपनी विद्या व परम्परा, जो संस्कृत भाषा में लिखी गयी है, को लेकर आ चुके हैं। "पुस्तक संदर्शिका" एप पर पुस्तक पढ़ने की सुविधा दिए जाने की मांग होती रही है। यह ऐप उस मांग की परिणति है।

आज अंतरजाल पर संस्कृत की लाखों पुस्तकें उपलब्ध हैं। नव भाषाओं के लिए ही नहीं, इंटरनेट के खिलाड़ी के लिए भी उनमें से वांछित पुस्तकों का चयन करना चुनौतीपूर्ण है। नेट पर कई व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा संस्कृत पुस्तकों का पीडीएफ बनाकर उपलब्ध करा दिया गया है। इनमें से कुछ ही सुपाठ्य है। हमने उनमें से सुसपठ्य, सभी पृष्ठों से युक्त, निम्नतम डेटा खपत वाले, इस प्रकार कई मानदंड को ध्यान में रखते हुए सबसे युक्तiyut नंबर का चयन किया है। किसी पुस्तक के कई संस्करण,। उपलब्ध उपलब्ध होने की स्थिति में उनमें से सर्वाधिक ख्याति लब्ध पुस्तकों का चयन किया गया। संस्कृत पुस्तकालय में शोध और सन्दर्भ सेवा प्रदान करने के साथ अपने लंबे अनुभव का प्रबोध उपयोग यहाँ किया गया है। अतः यह ऐप हजारों में से एक है। यह ऐप बुक ढूंढ में लगने वाले आपके समय और ऊर्जा को संरक्षित करेगा, एक सुयोग्य पथदर्शक की भूमिका का निर्वाह भी करेगा।

अंतर्जाल पर यूनिकोड मेंit पुस्तकें भी उपलब्ध होने लगी है, लेकिन अभी भी काफी मात्रा में हैं या संपादन होना शेष है। पीडीएफ की किताबों में यह समस्या बहुत ही होती है, अतः यहां पर पीडीएफ पुस्तकों का ही नंबर दिया गया है।

आप की मांग पर इस संग्रह में अन्य पुस्तकों को भी जोड़ा जाएगा। वांछित पुस्तक की प्राप्ति के लिए फीडबैक में पुस्तक और लेखक का नाम आदि का उल्लेख करें।

प्रो। मदन मोहन झा और उनके सुपुत्र श्री सृजन झा 'निर्बल के बल' है। मेरी यह अति महत्वाकांक्षी परियोजना आपके ही बल (तकनीकी दक्षता) के कारण आप तक पहुंच सकी। आपके हाथों तक इसकी पहुंच प्रतिनायकों पर विजय की गाथा को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। बहुचर्चित एवं बहूपयोगी पुस्तकों के सूची को अंतर्जाल से ढ़ंढकर उपलब्ध कराने में सुश्री श्वेता गुप्ता, लखनऊ का महनीय योगदान है।

इस ऐप का प्रत्येक उपयोगकर्ता और संस्कृत जगत्, संस्कृत के विस्तार में प्रो। झा, श्रीमान् सृजन झा और सुश्री श्वेता गुप्ता के निस्वार्थ तकनिक योगदान के प्रति कृतज्ञ रहेंगे।

इति शम्

विदुषामनुचरः

जगदानंद झा

संस्कृत गृहम्, कूर्मचल नगर, लखनऊ

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