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पंचतंत्र की कहानियां के बारे में

बुद्धि को सहज ही कुशाग्र बनाने वाली “पंचतन्त्र” की प्रेरक एवं मनोरंजक कहानियां

हममें से अधिकांश ने बचपन में ‘बाल-बुद्धि’ को सहज ही कुशाग्र बनाने वाली “पंचतन्त्र” की प्रेरक एवं मनोरंजक कहानियां अवश्य पढ़ी होंगी क्योंकि हिन्दी भाषा में लिखीं गईं इन कहानियों का हमारे देश की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।इतना ही नहीं अंग्रेज़ी भाषा में अनुवादित होने के कारण ये कहानियाँ विश्व-विख्यात भी हैं।

पंचतंत्र की कहानियां एक ऐसी कहानियों का कसंग्रह है जो की बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़े बुड्ढे जवान पुरुष इस्त्री सभी को एक प्रेरणा का स्त्रोत प्रदान करती है। इन कहानियों के लेखक हैं विष्णु शर्मा जी, जिन्होंने कई सौ साल पहले इन कहानियों का लेखन किया था तथा इन कहिनियों के माध्यम से वो लोगों तक कई तरह का सन्देश देना चाहते थे और जीवन की कई सच्चाईयोन से लोगों को अवगत करना चाहते थे।

पञ्चतंत्र की ये कहानियाँ कब और क्यों लिखीं गईं ,इसके पीछे एक अत्यंत रोचक इतिहास है। कहते हैं कि प्राचीन काल में पाटलीपुत्र में ; जो आज पटना के नाम से विख्यात है, एक सुदर्शन नाम का अत्यंत गुणी राजा राज्य करता था।एक दिन उस राजा ने किसी कवि के द्वारा पढ़े जाते हुए दो श्लोक सुने जिनका भाव कुछ इस प्रकार था: 1) शास्त्र अर्थात् ज्ञान ही मानव के वास्तविक नेत्र होते हैं क्योंकि ज्ञान के द्वारा ही हमारे समस्त संशयों एवं भ्रमों का छेदन किया जा सकता है ;सत्य एवं तथ्य का परिचय भी ज्ञान के ही माध्यम से सम्भव हुआ करता है तथा अपनी क्रियायों के भावी परिणाम का अनुमान भी हम केवल अपने ज्ञान के द्वारा ही लगा सकते हैं

2) यौवन का झूठा घमण्ड ,धन-सम्पत्ति का अहंकार ,प्रभुत्त्व अर्थात् सब को अपने आधीन रखने की महत्त्वाकांक्षा तथा अविवेकिता यानि कि सही और गलत के बीच अंतर को न पहचानना—इन चारों में से एक का भी यदि हम शिकार बन गये तो जीवन व्यर्थ होने की पूरी-पूरी सम्भावना होती है; और फिर जहाँ ये चारों ही एक साथ हों तो फिर तो कहना ही क्या !

राजा ने जैसे ही ये श्लोक सुने , तो उसे अपने नित्य कुमार्ग पर चलने वाले और कभी भी शास्त्रों को न पढ़ने वाले पुत्रों का ध्यान हो आया। अब राजा सुदर्शन ने बड़े सम्मान के साथ अपने पुत्रों को शिक्षा-प्राप्ति के लिए पंडित विष्णु शर्मा को सौंप दिया और उस विद्वान ने भी राजा के उन शास्त्रविमुख पुत्रों को मात्र छह महीनों में ; पशु-पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं की मनोरंजक तथा प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से नीतिशास्त्र का ज्ञान करवाया जिससे उनका जीवन ही बदल गया। मित्रों, यही कहानियाँ ‘पंचतन्त्र की कहानियां’ कहलाती हैं

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Last updated on Nov 19, 2017

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