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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | मिर्ज़ा ग़ालिब की अनमोल शायरी | Mirza Ghalib Shayari
Mirza Ghalib Shayari: कविताओं, शायरी और गजलों के मशहूर लेखक मिर्ज़ा ग़ालिब का आज यानि बुधवार को 220वां जन्मदिवस है। अपने शायरी से युवाओं को प्रेरित करने वाले महान मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म 27 दिसंबर, 1797 में आगरा के कला महल में हुआ था। ग़ालिब मुगलकाल के आखिरी महान कवि और शायर थे। मिर्ज़ा ग़ालिब के शायरी भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभार में मशहूर हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रथम भाषा उर्दू थी लेकिन उन्होंने उर्दू के साथ-साथ फारसी में भी कई शायरी लिखे थे। ग़ालिब की शायरी लोगों के दिलों को छू लेती है। ग़ालिब की कविताओं पर भारत और पाकिस्तान में कई नाटक भी बन चुके हैं। आज हम आपको मिर्ज़ा ग़ालिब के उन शायरी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि बहुत मशहूर हैं।
मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शायरी:
“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले”
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” (२७ दिसंबर १७९६ – १५ फरवरी १८६९) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। यद्दपि इससे पहले के वर्षो में मीर तक़ी "मीर" भी इसी वजह से जाने जाता है। ग़ालिब के लिखे पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, को भी उर्दू लेखन का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाना जाता है। उन्हे दबीर-उल-मुल्क और नज़्म-उद-दौला का खिताब मिला।
ग़ालिब (और असद) नाम से लिखने वाले मिर्ज़ा मुग़ल काल के आख़िरी शासक बहादुर शाह ज़फ़र के दरबारी कवि भी रहे थे। आगरा, दिल्ली और कलकत्ता में अपनी ज़िन्दगी गुजारने वाले ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता है। उन्होने अपने बारे में स्वयं लिखा था कि दुनिया में यूं तो बहुत से अच्छे कवि-शायर हैं, लेकिन उनकी शैली सबसे निराली है
उर्दू अदब मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी के बग़ैर अधूरी है। ग़ालिब की शायरी ने उर्दू अदब को नए पंख और नया आसमान दिया। कम लोग जानते हैं कि ग़ालिब की शायरी का बड़ा हिस्सा फारसी में है, उर्दू में उन्होंने बहुत कम लिखा है, लेकिन जितना लिखा है वो ही आने वाले कई ज़मानों तक लोगों को सोचने पर मजबूर करने के लिए काफी है। ग़ालिब की शायरी की सबसे ख़ूबसूरत बात ये है कि वो किसी एक रंग या किसी एक एहसास से बंधे नहीं, हर मौज़ू पर उनका शायरी मौजूद है। ग़ालिब शायद उर्दू के इकलौते ऐसे शायर हैं जिनका कोई न कोई शायरी ज़िंदगी के किसी भी मौके पर quote किया जा सकता है।
Last updated on Oct 22, 2019
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मिर्जा गालिब की हिन्दी शायरी
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Oct 22, 2019