Hindi Sanskrit Shabdkosh


1.4 por Srujan Jha
Sep 3, 2023

Sobre Hindi Sanskrit Shabdkosh

भाषा ज्ञान के साधनों में व्याकरण तथा कोश का महत्व पूर्ण स्थान है।

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भाषा ज्ञान के साधनों में व्याकरण तथा कोश का महत्व पूर्ण स्थान है। किसी भी भाषा द्वारा विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द सम्पदा की आवश्यकता होती है। शब्द ज्ञान के अनन्तर उसे नियमन के व्याकरण की आवश्यकता होती है। संस्कृत जैसी संश्लिष्ट भाषा का सर्वांगपूर्ण कोश ग्रन्थ तैयार करना जटिल कार्य होता है। यहाँ एक प्रकृति तथा प्रत्यय के योग शब्दों का सृजन होता जाता है। धातुओं में उपसर्गों के योग सेर्थ परिवर्तन पूर्वक अनेक क्रियावाची शब्द बनते हैं अंग्रेजी या हिन्दी भाषा के संसर संस्कृत में तुओंातुओं (क्रियाओं) का नियमन तथा कोश निर्माण चुनौती पूर्ण है।

संस्कृत के अमरकोश, मेदिनीकोश, हलायुध कोश आदि ग्रन्थों में नुसानुसार प्राके e पर्याय तथा उसके लिंग निर्देश मिलते हैं, जबकिाक (क्रिया), िका अभी तक वाक्य निर्माण के लिए्यक दोनों प्रकार की शब्दावली से युक्त ई- कोश का अभाव था। हिन्दी भाषियों के रार्थ मैंने अपने इस में हिन्दी भाषा में प्रचलन में आये्रेजी, उर्दू, फारसी तथा देशज शब्दों तथा क्रियाओं के संस्कृत क्संकलन प्कृत क्संकलन यह हिन्दी शब्दों का संस्कृत शब्द बताने वाला हिन्दी संस्कृत शब्दकोश है।

लिंगानुशासन के विना कोश अधूरा रहता है। संस्कृत में शब्दों के लिंग होते हैं। रूप भेद, साहचर्य, लिंग कथन आदि के्वारा संस्कृत शब्दों का लिंग परिज्ञान कराया जाता रहा है। मैंने भी सामान्यतः विसर्ग के द्वारा पुल्लिंग, आकारान्त तथा ईकारान्त के द्वारा स्त्रीलिंग एवं मकारान्त के द्वारा नपुंसक ।ा बोध कलिंग सामान्य नियम बाधित होने की्थिति में शब्दों के पूर्व लिंग कथन कर दिया गया है। भाषित पुंस्क (कुछ नपुंसक लिंग के्द पुल्लिंग में भी होते) के लिए (पुं.नं.) इस प्रकार संकेत किया गया है।

को्कृत में क्रियाओं को 10 गणों में विभाजित किया गया है। कतिपय समरूप धातु अनेक गणों में पठित हैं इन धातुओं में विभिन्न विकरण लगने पर उसके स्वरूप में परिवर्तन हो जाता है परिवर्तित स्वरूप से धातु तथा उसके अर्थ को करने के लिए मैंने वर्तमान काल, प्रथमा एकवचन का शब्द लिखा है। ँ क्रकार ँाँ 600 तुओंातुओं (क्रिया शब्दों) e को्थान दिया गया है है कुछ उपसर्गों के साथ धातुओं के योग से्पन्न पदों को भी रखा है। कोश में शब्दों का क्रम आदिवर्ण के अनुसार है. हुईाँ आवश्यकता हुई, वहाँ अनेक पर्याय शब्द भी दिये गये हैं।

यह कोश संस्कृत भाषा के प्रारम्भिक शिक्षण में उपयोगी, अतः यहाँ व्युत्पत्ति के द्वारा अर्थ ज्ञान नहीं कराया गया। यह प्रकल्प एक वर्ष से अधिक समय लम्बित था, लॉकडाउन की अवधि का सदुपयोग कर इसे पूर्ण किया गया। कोश निर्माण में सुश्री श्वेता गुप्ता, लखनऊ नेराबर का सहयोग दिया है। तन्त्रांश के द्वारा इसे जनोपयोगी बनाने तथा हर मोबाइल तक इसे पहुँचाने में प्रो. मदनमोहन झा तथा उनके सुपुत्र श्री सृजन झा का अतुलनीय योगदान है। इनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करता हूँ। ऐप को और अधिक उपयोगी बनाने हेतु आपसे सुझाव आमंत्रित हैं.

विदुषामनुचरः

      20्धपूर्णिमा 20् 2077 जगदानन्द झा

,्कृतगृहम्, डी .202 / 4, कूर्मांचल नगर, लखनऊ

jagd.jha@gmail.com

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